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गीता समस्त ग्रंथों का सार निचोड़ है, जैसे हीरों में कोहिनूर है वैसे गर्न्थों में गीता…! गीता के बारे में मैं बस इतना कहूंगा, ‘अगर ये ग्रन्थ आपको समझ न आए, तो समझिये आपकी समझ कमज़ोर है, ग्रन्थ का इसमें कोई दोष नहीं है’. जब भी कोई गीता की निंदा करता है मैं व्यथित तो हो जाता हूँ, लेकिन निराश नहीं होता | आज स्थिति ऐसी है कि सदगुर जी, अनील जी, दिनेश जी, रंजना जी जैसे विवेकशील लोग जागरण पर ‘गीता’ जैसे पावन ग्रंथों का मज़ाक उड़ा रहे हैं..!! लेकिन उम्मीद करता हूँ कि देर अबेर इन महानुभावों को गीता की महिमा समझ में आ जायेगी..क्योंकिं झूठ नपुंसक होता है, ज्यादा देर नहीं टिक सकता है,..!!!
मनुष्य के दुर्भाग्य की कोई सीमा नहीं है, अँधा वजाय इसके की अपनी आँख ठीक कराये, प्रकाश को ही इंकार करने लगता है..!! अनील जी, सदगुरजी, दिनेश जी, रंजना जी, जवाहर जी जैसे लोगों का पुरजोर विरोध होना चाहिए, ये असामाजिक तत्व हैं..अपने शब्दों की जादूगिरी के दम पर लोगों को गुमराह कर रहे हैं, और लोगों के धार्मिक भावना को ठेस पहुंचा रहे हैं…!! हाथी बैठा भी रहेगा तो घोडा गधा से ऊँचा रहेगा, भारत कितना भी गिर गया है, लेकिन आज भी धार्मिक मामलों में समस्त संसार का बाप है…’कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी’ ..नास्तिकता रोग है…इसका इलाज़ होना चाहिए…!!!!
गीता का अपमान करना ‘माँ’ को गाली देने के समान है..!! पूरे मानव जाति के इतिहास में योगेश्वर कृष्ण एक मात्र सम्पूर्ण व्यक्ति है, आज पांच हज़ार साल बाद भी हमारी चेतना उस स्तर पर नहीं पहुंची है जहां हम कृष्ण को उनकी समग्रता में समझ सके, कृष्ण के साथ अन्या हुआ है, लोगों ने अपनी सुविधा के अनुसार उनको खण्डों में बांट दिया है…!
जितने लोगों के जीवन को गीता ने प्रकाशित किया है उतना किसी और ग्रंथ ने नहीं, गीता के सारे वचन अनमोल हैं, सब प्रकार के लोगों के लिए सूत्र है गीता में ! आज पछिम के लोगों को गीता की सग्निफिकन्स समझ में आ रही है, लेकिन हम मूर्खों के आंख पर पट्टी बंधा हुआ है…!! मेरा जागरण परिवार से विनम्र निवेदन है कि ऐसे लोगों को लेख लिखने से मना कर दिया जाए जो गीता या किसी भी पवित्र ग्रंथ की निंदा करते हैं…!! इस तरह के लोगों की जगह पगलखाना होना चाहिए न कि समाज, जागरण एक सामाजिक मंच है यहाँ संभ्रांत लोग पढने आते हैं…! ये सड़े-गले लोग हमारे पवित्र विचारों को दूषित करने की कोशिश कर रहे हैं…इन पर अंकुश लगाना ज़रूरी है..!
‘सूफी ध्यान मुहम्मद’
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