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कुछ कुत्ते हैं और कुछ बिल्लियाँ

Wise Man's Folly!
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चमनलाल कल मुझे एक कहानी सुना रहा था…. ‘एक चतुर कुत्ता एक दिन बिल्लियों के एक झुण्ड के पास से गुजरा।

कुछ और निकट जाने पर उसने देखा कि वे कोई योजना बना रहीं थीं और उसकी ओर से लापरवाह थीं। वह रुक गया।

उसने देखा कि झुण्ड के बीच से एक दीर्घकाय, गम्भीर बिल्ला खड़ा हुआ। उसने उन सब पर नजर डाली और बोला, “भाइयो! दुआ करो। बार-बार दुआ करो। यक़ीन मानो, दुआ करोगे तो चूहों की बारिश जरूर होगी।”

यह सुनकर कुत्ता मन-ही-मन हँसा।

“अरे अन्धे और बेवकूफ़ बिल्लो! शास्त्रों में क्या यह नहीं लिखा है और क्या मै, और मुझसे भी पहले मेरा बाप, यह नहीं जानता कि दुआ के, आस्था के और समर्पण के बदले चूहों की नहीं हड्डियों की बारिश होती है।” यह कहते हुए वह पलट पड़ा।
कहानी सुनकर मैंने कहा, ‘चमन तुम्हारी तरह तो मैं कोई सिद्धपुरुष नहीं हूँ जो कुत्ते और बिल्लियों की बात-चीत को समझ सकूँ, और मैं ये मानता भी नहीं कि इस कहानी से कुत्ते बिल्ली का कुछ लेना देना है, ये मनुष्य के वासना की कहानी है, ये मनुष्य की कहानी है | लोगों को कभी गौर से सुनना वो दिन भर ऐसी ही बाते करते रहते हैं, मैंने लोगों को ऐसी बात-चीत करते देखा है, मैंने ‘कामी’ को कहते सुना है…, ‘स्वर्ग में अप्सरायें होती हैं’…, मैंने ‘लोभियों’ को कहते सुना है….., ‘स्वर्ग में कल्पवृक्ष होता है’…., मैंने ‘पापियों’ को कहते सुना है…, ‘भगवन दयावान है’…., मैंने ‘चलवाज़ों’ को कहते सुना है…, ‘भगवान् गलत करने वालों को दंड और अच्छा करने वालों को इनाम देता है…’ |
इसीलिए मैं कहता हूँ ये आदमी की कहानी है, हर आदमी अपनी वासना की संसार में जीता है | ये जो संसार में तुम्हे इतने मतभेद दीखते हैं ये सब वासना के मतभेद हैं…, हिन्दू की वासना कहती है…, ‘गीता सही है, कृष्ण भगवन हैं’…, मुस्लमान की वासना कहती है…, ‘कुरान सही है.., ईश्वर एक है’…, हिन्दुस्तानी की वासना कहती है…, ‘भारत महान है, हम जगत गुरु हैं’, | जितनी वासना उतने ढंग की बातें…| जवान की वासना किसी और तरह का संसार देखता है, बूढों की वासना किसी और तरह की…|
चमन गौर से सुन रहा था, सो मैं ने अपनी बात जारी रखी…, “ये जो तुम संसार में इतने द्वन्द देखते हो ये सब द्वन्द वासना के द्वन्द है, सत्य निर्द्वन्द है | यहाँ सत्य के लिए कोई नहीं लड़ रहा है और न ही कभी कोई सत्य के लिए लड़ सकता है, सब लड़ाई वासना की लड़ाई है | यहाँ जितनी भी लड़ाईयां है वो सब कुत्ते और बिल्ली की लड़ाईयां है.. कुत्ता कभी ये मान ही नहीं सकता कि ‘चूहे की भी बारिश हो सकती है’, उसकी गीता में चूहे का कहीं कोई चर्चा ही नहीं है, वहाँ सिर्फ और सिर्फ हड्डी ही हड्डी है’ | यही हाल बिल्ली की है, उसके ग्रन्थ में सिर्फ चूहे ही चूहे हैं, उसके स्वर्ग में बड़े-बड़े चूहे हैं, उसकी किताबों में लिखा है जो भी सम्बोधि को उपलब्ध हो जाता है, उसको चूहों को पकड़ने की ज़रुरत नहीं पड़ती है, उसके पास चूहे ख़ुद आते हैं, वो भी ये चूहे नहीं स्वर्ग के चूहे बिल्कुल कुवारी और कोमल चूहे… इसीलिए तो तुमने देखा होगा कभी कभी बिल्लियाँ संयम साधे ध्यान में बैठी रहती है..ऐसा नहीं है सिर्फ तुम्ही धार्मिक हो और भक्त हो चूहे भी भक्ति करते हैं… वो भी ध्यान लगाते हैं… लेकिन वो तुम्हारी तरह मेनका और रंभा पर ध्यान नहीं लगाते हैं, वो चुहियां पर ध्यान लगाते हैं | उनको भी बड़ा आनंद आता है, समाधि का सुख मिलता है | उनको बारह साल या बाईस साल ध्यान नहीं करना पड़ता है, और अगर करते भी हैं तो वो कोई लेखा जोखा नहीं रखते है… बिल्लियाँ सहज होती है, गणित की उतनी समझ नहीं होती उनको…|
मेरी बातों में गीता का ज़िक्र सुनकर चमन थोड़ा रोष से भर गया और कहने लगा, “तो फिर सत्य क्या है..? असल में किस की बारिश होती है…?? अगर ये संसार सिर्फ हमारी वासनाओं का फैलाव है, सारे द्वन्द वासना के हैं, जहाँ भी संघर्ष है वो कुत्ते और बिल्ली की अलग-अलग वासना होने के कारण है, तो फिर सचाई क्या है…??”, एक लम्बी सांस लेकर फिर से शुरू हो गया, “अगर गीता, धमपद, कुरान, बाइबल, तालमुद में सत्य नहीं है तो सत्य फिर है कहाँ…..???’, ‘उतेजित मत होओ चमन, जो जैसा है मैं तुम्हे उसको वैसे ही दिखाने की कोशिश कर रहा हूँ | सत्य झूठ से बहार नहीं है, झूठ में ही छिपा है, जैसे स्वास्थ्य बीमारी में छुपा होता है वैसे ही सत्य में झूठ में, तुम चिकित्सक से ये तो नहीं पूछते कि अगर ये सब बीमारी है तो स्वास्थ्य कहाँ है, बीमारी की बात छोड़ों मुझे स्वास्थ्य दो…?’, स्वास्थ्य को कहीं बाहर से नहीं लाना होता है, बीमारी हटा दो जो बच जाएगा वही स्वास्थ्य है, बात समझने की कोशिश करो, यूँ उछलो मत”, मैंने बल देते हुए अपनी बात पूरी की थी सो वो थोड़ा शांत होते हुए बोला, “मैं उतेजित नहीं हो रहा, लेकिन कैसे तुम गीता को गलत कह सकते हो….”| मैंने उसकी बात कटते हुआ कहा, ‘तुमसे कहीं कुछ भूल हो रही है, मैं गीता को गलत नहीं कह रहा हूँ, ‘जो भी गलत है मैं उसको गीता कह रहा हूँ, दोनों बातों में बुनियादी भेद है’, सत्य को किसी ग्रन्थ में नहीं समेटा जा सकता है, शब्द में सत्य नहीं होता है, अगर तुम आकाश की तस्वीर बनाते हो तो क्या तुम सोचते हो कि वो तस्वीर आकाश है…?’, ‘गीता, कुरान या बाइबिल में सत्य के ‘बारे’ में बताया गया है वहाँ कोई सत्य नहीं है, और गीता जिससे कहा गया था उसके लिए भले ही प्रासंगिक रहा हो लेकिन तुम्हारे लिए ‘गीता’ सिवाय बकवास के कुछ भी नहीं है’, मेरी बातों को सुन कर चमन तपाक से बोला, “तो फिर इतने लोग गीता क्यों पढ़ते हैं, गीता के लिए अपनी जान देने को क्यों तैयार हैं…??”
‘अभी तुमने ही तो कहानी सुनाई थी, खुद ही भूल गए..?’, बिल्ली की वासना जैसे चूहों की बारिश करवाती है उसी तरही तुम्हारी वासना गीता में वो सब देख लेती जो वहाँ नहीं है, दरसल तुम वही देखते हो जो तुम हो, न तो कभी हड्डी की बारिश होती है और न ही कभी चूहों की..|’ ‘सत्य में ग्रन्थ समा सकता है, लेकिन कभी किसी ग्रन्थ में सत्य नहीं समाता’, ‘चमन तुम न तो कुत्ता हो और न ही बिल्ली’ | “तो फिर मैं कौन हूँ..?” मुझे उसके सवाल पर हंसी आ गयी, उकता कर उसने एकदम से जोश में आ कर पूछा था | मैंने कहा, ‘तुम वो हो जिसने कुत्ते बिल्ली को बात करते हुए देखा था, जो कुत्ते का भी साक्षी था और बिल्ली का भी, कुत्ता और बिल्ली दोनों तुम्हारे भीतर है, और तुम दोनों के पार हो… तुम द्रष्टा हो|’, मन के द्वन्द के प्रति बोध से भरो उनसे उलझो मत… कुत्ता को भी बोलने दो और बिल्ली को भी, तुम बस चुप-चाप उन्हें देखते रहो, वो दोनों बीमारी हैं, जैसे ही तुम उनका दर्शन करने लगोगे वो विदा होने लगेंगे और फिर जो बचेगा वो स्वास्थ्य है, वही सत्य है…|

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