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(कुछ कमेंट आये हैं दस पंद्रह मेल आयें हैं, तीन चार कॉल आयें हैं, सब का कहना है कि ‘बलात्कार’ के संबंध में मैं जो कुछ भी लिख रहा हूँ वो उनके गले के नीचे नहीं उतर रहा है, बलात्कार के उपर एक लेख को पढ़ कर मेरे रूम पार्टनर का तो पेट ही ख़राब हो गया, रात से बेचारा सात बार हो के आ चूका है | ये लेख दवाई स्वरुप में उन्ही लोगों के लिए लिख रहा हूँ जिनकी हालत नाज़ुक है | अभी जागरण जंक्शन के तरफ़ से भी मेसेज आ या है कि मैं अपने लेख ‘चमेली ने चमन का बलात्कार किया’ और ‘ठीक तो है बलात्कार’ मंच से हटा लूं..उनका कहना है, “J Blog के द्वाराNovember 12, 2013 आदरणीय सूफी ध्यान मुहम्मद जी, मंच नारी सम्मान और उसकी मर्यादा का पूरा-पूरा खयाल रखता है जबकि आपके आलेख स्त्री सम्मान के खिलाफ हैं. आपसे अनुरोध है कि आप ‘ठीक तो है बलात्कार’ एवं ‘चमेली ने चमन का बलात्कार किया’ को शीघ्र ही मंच से हटा लें ताकि अन्य सम्मानित ब्लॉगरों की भावनाओं को चोट न पहुंचे. अन्यथा की स्थिति में आपके उपरोक्त उल्लिखित ब्लॉगो को मंच स्वयं प्रतिबंधित करने के लिए बाध्य होगा. धन्यवाद जागरण जंक्शन परिवार)
‘मेरी बात’
‘बलात्कार’ शब्द का मतलब होता है- ‘बलपूर्वक अधिकार’ हम जब भी जहाँ भी बलपूर्वक किसी व्यक्ति और वस्तु पर अधिकार करते हैं वो ‘बलात्कार’ है.. सीधी-सीधी बात कही है मैंने, न तो मैं कोई महिला संगठन चलता हूँ और न पुरुषों की तरफदारी करने का मैं ने ठेका ले रखा है…और न ही मैं कोई राजनेता हूँ, और शायद इसिलए आपको लोगों को मेरा तरीका सही नहीं लग रहा है | मैं किसी को खुश करने के लिए नहीं लिखता हूँ , लेखक का काम लोगों के घाव पर फूल चढ़ाना नहीं बल्कि उनके घावओ को उघारना होता है ताकि घावओं का कोई इलाज़ ढूंढा जा सके…घावओं पर फूल चढाने से घाव ठीक नहीं हो जाता है बल्कि वो नासूर हो जाता है, केंसर बन जाता है |
मेरे पिछले लेख ‘ठीक तो है बलात्कार’ पर एक सज्जन जिनका नाम इमाम हुसैन Quadri है ने कमेंट किया है, “ध्यान जी मुझे मालूम नहीं के आप किस ध्यान में हैं मगर ये आपका ध्यान कुछ ठीक नहीं आपके कहने का मतलब जो भी हो मगर तरीक़ा बिलकुल गलत है अगर आप इसे मिटा दें तो अच्छा होगा..”… मैं जनाब से कहना चाहूँगा कि मुझे लेख को मिटा देने में कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन क्या मेरे मिटा देने से सच्चाई बदल जायेगी…??? आप ही बताएं कौन सा तरीका सही है…आप कैसे बलात्कार को समाज से समाप्त करना चाहते हैं…?? और आपका कौन सा तरीका अब तक कामयाब हो पाया है…??? नई बातों से इतना डर क्यों लगता है हमें…??? इतने भीरु क्यों हो गये हैं हम..?? आपने लिखा है, “अगर आप इसे मिटा दें तो अच्छा होगा..” आप बताएँगे क्या आच्छा होगा, मेरा अच्छा होगा या इस समाज का, क्या आप सोचते हैं कि मेरे इस लेख को हटा देने से इस देश से बलात्कार की समस्या समाप्त हो जाएगी…?????
आज से ढाई हज़ार साल पहले बुद्ध और महावीर के कहने पर हमने धन का अवहेलना किया, धन का अनादर किया जिसका परिणाम हम आज तक भुगतते आ रहे हैं…इक्कीसवी सदी में भी हम भूखे मर रहे हैं…!! आज आप नए विचारों का अनादर कर रहे हैं… मुझे लगता है भारत धनहीन तो था ही अब विचारहीन भी हो गया है…!!
आज सारी दुनियां बुद्ध की पूजा करता है लेकिन हमने उन्हें खदेड़ कर भगा दिया…महावीर के कान में कील ठोक दिया… विवेकानंद जब तक भारत में रहे लोग उनको भीख देने को भी तैयार नहीं था..जब अमेरिका में चर्च उनका विरोध कर रहा था तो भारत से एक भी आदमी ने उनके समर्थन में आवाज़ नहीं उठाई, बल्कि उल्टे लोग यहाँ ये कहते फिरते थे कि ये आदमी सन्यासी है ही नहीं | लेकिन जब विवेकानंद सफल हो गए तो आज हम बोलते हैं ‘हमारे विवेकानंद’, शर्म आनी चाहिए हमें | एम्. हुसैन को हमने भारत से भगा दिया…! रविन्द्र नाथ की ‘गीतांजली’ को हमने ढेले भर का वैल्यू नहीं दिया लेकिन जब उनको नोबेल प्राइज मिला तो वो हमारे ‘गुरुदेव’ हो गये | अजीब दुर्भाग्य है हमारा !!
मेरे लिए न तो कोई स्त्री है और न ही पुरुष ..हम सब इंटर-बीइंग हैं…’इंटर-आर’ हैं…| न तो मैं पुरुषों को महिलाओं से श्रेष्ठ मानता हूँ न स्त्रियों को पुरुषों से निकृष्ट, दोनों ‘इंटर-आर’ है…एक दूसरे के पूरक हैं…एक दूसरे पर निर्भर हैं…स्त्री-पुरुष दो नहीं है | अगर पुरुष गलत हैं तो उसमे महिलाओं का कहीं न कहीं हाथ होगा ही, अगर सफ़ल पुरुष के पीछे स्त्रियों का हाथ होता है तो फिर असफल पुरुष के पीछे उनका हाथ क्यों नहीं हो सकता है…???
ये वैज्ञानिक सच है कि बिना प्रेम के सेक्स करने से जो बच्चा पैदा होता है, वो बच्चा हिंसक प्रविर्ती का होता है, क्योंकि बिना प्रेम सेक्स सिर्फ हिंसा है | बीज ख़राब होगा तो फल कहां से अच्छा होगा, हम बोते तो नीम हैं और अपेक्षा करते हैं कि उसमे से आम लगे, ऐसा नहीं होता है | विवाह बलात्कार का बुनियादी कारण है..| और विवाह स्त्रियों द्वारा खोजी गयी सामाजिक व्यवस्था है |
एक और बात, बलात्कार वही करता पुरुष करता है जो गहरे में अपनी माँ से प्रेम नहीं करता है, ‘बलात्कार’ पुरुष के अंदर बचपन से पल रही स्त्रियों के प्रति घृणा का परिणाम है | क्यों कोई बच्चा अपनी माँ से प्रेम नहीं कर पता है…??? वजह साफ़ है, क्योंकि माँ बच्चे से प्रेम नहीं करती है..| थोड़ी हैरान करने वाली बात है पर ऐसा कभी कभी ही होता है कि कोई स्त्री अपने बच्चे से प्रेम करे… हाँ मोह होता है बच्चे से, लेकिन मोह प्रेम नहीं है…लगाव प्रेम नहीं है | ऐसी माताएं हैं जो ये हिसाब किताब रखती है कि मैं ने अपने बच्चे के लिए क्या क्या किया है…सब का लेखा-जोखा होता है उनके पास | लेकिन क्या आप सोचते हैं कि प्रेम में हिसाब किताब भी हो सकता है …? मेरी एक दोस्त है वो माँ बनाने वाली है, मैं उससे पूछा तुम्हे बच्चा क्यों चाहिए तो बोली ‘बुढ़ापे में सहारा बनेगा’, अब क्या आप सोचते हैं कि ये स्त्री कभी अपने बच्चे से प्रेम कर पायेगी…?? कुछ लोग बुढ़ापे के लिए बैंक में पैसा जमा करते हैं कुछ लोग बच्चे पैदा करते हैं…दोनों इन्वेस्टमेंट है…व्यापर है | प्रेम जैसा तो मुझे कहीं कुछ नहीं दीखता |
अब सवाल ये पैदा होता है कि क्यों कोई माँ गहरे में अपने बच्चे से प्रेम नहीं करती है…?? क्योंकि गहरे में वो अपनी पति से प्रेम नहीं करती है, और जो स्त्री अपने पति से प्रेम नहीं करेगी वो कैसे उसके बच्चे से प्रेम कर पायेगी…??? जो स्त्री सेक्स को गलत समझती है वो कैसे सेक्स से जनमें बच्चे को सही समझ लेगी…??? विवाह थोपा जाता है, यह एक सामाजिक मज़बूरी है और मज़बूर हो कर कोई कभी किसी से प्रेम नहीं कर सकता है | प्रेम का फूल स्वतंत्रा के आंगन में खिलता है न कि विवाह के जेल में…! किसी भी समस्या का समाधान ढूंढने के लिए उसके जड़ तक जाना अति आवश्यक है | ये बलात्कार के विरुद्ध धरना, प्रदर्शन और हो-हल्ला करने से समस्या का निदान नहीं हो जाता है | मुझे चुप कर दीजियेगा तो ये देश थोड़ा और गरीब हो जायेगा….| मुझे चुप करने की जल्दी न करें…!!
मेरी बातों पर पुनः विचार करें…और बिना किसी पूर्वाग्रह और पक्षपात के तथ्यों का अवलोकन करें…अगर फिर भी आपको लगे की मेरा तरीका गलत है और जो मैं कह रहा हूँ उसमे सच्चाई नहीं है तो मैं इसे मिटा दूंगा… मुझे तो लगा था कि भारत अब थोडा प्रौढ़ हो गया है..थोडा उदार हो गया है, लेकिन नहीं …हम आज भी मुंह-खौटा लगा कर जी रहे हैं…|
(मैंने जागरण जंक्शन के कहने पर अपने दोनों लेख ‘ठीक तो है बलात्कार’ और ‘चमेली ने चमन का बलात्कार किया’ को हटा दिया है |, लेकिन ये ऐसे हुआ है जैसे कोई किसी की गर्दन पर पर तलवार रख कर उससे कोई काम करवा ले, मैं इसे लेखक का ‘बलात्कार’ कहता हूँ |)
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