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जेजे ने कल मुझ से मेरे लेख ‘चमेली ने चमन का बलात्कार किया’ और ‘ठीक तो है बलात्कार’ को हटा देने का अनुरोध किया मैं ने लेख को हटा दिया ! तथाकतिथ सद्गुरु राजेन्द्र ऋषि और उनके शिष्य जवाहर जी ने भी मेरे लेख का विरोध किया | मुझसे पे आरोप लगा गया कि मैं ने महिलाओं का अपमान किया है, जवाहर जी ने मुझ से कहा कि मैं ‘सिरफिरा’ हूँ…! अब मैं यहाँ कुछ सवाल उठा रहा हूँ अगर जागरण जंक्शन के पत्रकारों और संपादकगण के पास थोड़ी भी प्रतिभा है तो मेरे सवालों का जवाब दें… अगर वो पत्रकार हैं तो मैं भी कोई चरवाहा नहीं हूँ… अगर जवाहर जी जिन्होंने ने मुझे ‘सिरफिरा’ कहा है कोई लेखक या मनोवैज्ञानिक (शायद वो अपने बारे में यही सोचते हैं..अन्यथा वो उन्होंने किस आधार पर मुझे ‘सिरफिरा’ कहा है…??) हैं और थोड़ी सी भी समझ है उनके पास तो मेरे से आ कर खुल कर तर्क करें…!
‘खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे’
‘सद्गुरु राजेंद्र ऋषि जी’ आपने तो हद ही कर दिया, आपकी अज्ञानता पर मुझे तनिक भी संदेह नहीं था, लेकिन आप भीरु भी हैं ये पता नहीं था ! आप से तो कहीं अच्छे आसाराम जैसे संत हैं जो कम से खुल कर लोगों का सामना तो करते हैं.. आप तो जेजे के सामने गुहार लगा कर दुम दबा कर भागने की कोशिश कर रहे थे.. तिलमिलाहट की भी हद होती है, लगता है सत्य की छुरी आपके सीने में पूरी उतर गयी है | मैं जेजे से दिन में ही निपट सकता था, लेकिन मैं ने ऐसा नहीं किया सिर्फ आपकी खातिर… इस देश के पत्रकारों में कितना दम है और कितनी समझ है वो मुझे वर्षों पहले पता चल गया था, मैं ने कोई पांच साल मीडिया के लिए काम किया है…फिल्म इंडस्ट्री में आने से पहले मैं दिल्ली में न्यूज़ चैनल के लिए ही काम करता था…!
बर्षों से मैं तथाकथित गुरुओं की बखिया उधेरता आ रहा हूँ, कोई भी दो चार मिनट से ज्यादा टिक नहीं पता है ! इस बार सोचा कि आप ‘सद्गुरु’ हैं तो आप कुछ देर टिकेंगे, लेकिन आप तो उन लोगों से भी गए-गुज़रे निकले, एक ही चोट में आप की सब गुरुगिरी हवा हो गयी…!!! आप भाग न जाएँ इसी वजह से मैं ने दिन में अपना पोस्ट हटा लिया, आप के शिष्य जवाहर लाल जी के पंख को देख कर मैं हैरान हो गया था…लेकिन मैं ज्यादा अचंभित नहीं था इन तथाकथित समाज सुधारकों के कलम की ताकत को मैं दो साल पहले ही जान गया था, इनको बस ‘हो-हो’ करना आता है | मशाल ले कर के समुंदर को डराने की इनकी पुरानी आदत हैं…इन से ये सब अपेक्षित था ! आश्चर्य तो ये है कि इस बार ये अकेले हैं….पता नहीं इनके गण्यमान्य साथी जन कहाँ दुबके हुए हैं… अभी तक इन लोगों ने गुटबाजी शुरू नही की है… ये लोग मुझ पर ऐसे हमला करते हैं जैसे कोई भेड़ का झुण्ड शेर पर हमला करे…!
अब जेजे से मुखातिब होते हुए मैं कुछ सवाल पूछता हूँ…पहला सवाल, अगर मैंने अपने लेख से महिलाओं का अपमान किया है तो क्यों किसी महिला ने मेरे खिलाफ आवाज़ नहीं उठाया…??? सरिता जी ने तो मेरे लेख पर कमेंट किया था…उन्होंने शिकायत क्यों नहीं की…?? दिल्ली के अख़बार ‘एनसीआर समाचार’ में मेरा लेख छपा था क्यों किसी पत्रकार या किसी महिला ने उसका विरोध नहीं किया…??? लेख के साथ मेरा मोबाइल नंबर भी था मुझे तो किसी महिला ने कॉल करके ये नहीं कहा कि आपने स्त्रियों का मज़ाक उड़ाया है… आपके महान मंच के अलावे ‘नवभारत’ और ‘भारत मित्र मंच’ पर मैंने लेख पोस्ट किया था, किसी भी महिला ने मेरा विरोध नहीं किया क्यों…?? कुशवाहा जी ने मेरे लेख का विरोध नहीं किया क्यों…??? मैं जिस संस्था के लिए काम करता हूँ उसमे 70 लड़कियां काम करती है सब ने फेसबुक पर मेरे लेख को पढ़ा, पसंद किया, कमेंट किया अपने विचार व्यक्त किये पर किसी ने नहीं कहा कि मैं ने महिलाओं का अपमान किया है…?? कहाँ से आपने पत्रकारिता किया है…?? मेरे कई पत्रकार मित्र हैं मैं ने उनसे भी लेख को पढवाया किसी ने भी मेरे लेख को आपत्तिजनक जनक नहीं बताया, आपने किस दिव्य-दृष्टि से मेरे लेख को पढ़ा बताएंगे आप…??? आपके जागरण में काम कर चुकी मेरी एक महिला मित्र ने मेरे लेख को पढ़ा उन्हें कुछ गलत नहीं लगा, आपने कौन सी अलौकिक दृष्टि का इस्तेमाल किया लेख को पढने के वक़्त बताएँगे आप…??? बचपन से ले कर आज तक मैंने कोई चौबीस हज़ार किताब पढ़ा होगा, दुनिया के एक से बढ़ कर के विवादस्पद लोगों को मैं ने पढ़ा है, मुझे तो किसी भी दृष्टिकोण से मेरे लेख में कुछ गलत और अपमानजनक नहीं लगा, किस आधार पर आपने मुझ से मेरे लेख को हटाने के लिए बोला मैं वो जानना चाहता हूँ…?? और मैं आपको आश्वासन देता हूँ कि इन छुट-भैये लेखकों को छोड़ कर किसी भी बरिष्ट पत्रकार या लेखक ने अगर मेरे लेख के एक भी वाक्य को असंगत या अनर्गल सावित कर दिया तो मैं लिखना छोड़ दूंगा, ता-उम्र कलम को हाथ तक नहीं लगाऊंगा..,| आप पुरे लेख को पढ़ कर उन लइनों को हाई-लाइट कर के मुझे बताइए जो ‘आउट ऑफ़ कॉन्टेक्स्ट’ है और गलत है…!
अगर आपके जागरण परिवार के लेखकों और संपदकगण में थोड़ी भी प्रतिभा है तो मेरे चुनौती को स्वीकार करें और सामने आ कर मुझ से बहस करें…मैं उनके दलीलों को सुनना चाहता हूँ | मैं जानना चाहता हूँ कि आपका आधार क्या है..???
अगर सद्गुरु राजेन्द्र ऋषि जी को लगता है कि मेरे विचार गलत हैं तो मैं उनसे अनुरोध करता हूँ कि वो उसे महिला आयोग के पास भेजें और अदालत में भी इस मुद्दे को उठाये…मै जानना चाहता हूँ कि इस देश के बुद्धिजीवी क्या सोचते हैं….किसी आधार पर वो ये कहते हैं कि इस लेख के जरिये मैंने महिलाओं का अपमान किया है…!!
‘जवाहर जी से दो शब्द’
और आदरणीय जवाहर लाल सिंह जी, क्या हाल हैं आपके, सब खैरियत..??? आप तो अब मनोचिकित्सक हो गए हैं, बधाई हो… लोगों से बगैर मिले ही पता कर लेते है कि वो कैसा है, आप तो फ्रायड के भी गुरु निकले, घर बैठे बैठे पता कर लिया कि सूफी ध्यान मुहम्मद ‘सिरफिरा’ है…गुड..!! आपने जब मेरा इलाज कर ही दिया है तो मैं सोचता हूँ कि आप को आपकी फीस भी भेज ही दूँ…क्या लेना पसंद करेंगे आप कैश या चेक…??? अपना पता भेज दीजिये गा मैं पैसा भिजवा दूंगा…!! आपने अच्छा ही किया लेखन छोड़ कर मनोवैज्ञानिक बन गए वैसे भी लेखन-वेखन आपके बस की …… (बंकि तो आप समझ ही गए होंगे, मनोवैज्ञानिक जो ठहरे)…!!!!!
‘अब पाठकों से दो शब्द….!!’
मज़े लो भाई आप लोग, अगर आप लोगों को बैंड सुनने का शौक है तो मुझे बैंड बजाने का, मधुमक्खी के छत्ते पर मैं ने पत्थर मार दिया है, अभी सब सो रहे होंगे, कल सुबह मेरे लेख को पढ़ते ही ‘भन्नभनाने’ लगेंगे… कुछ लोगों को आग भी लग जाएगी, आप लो अपना हाथ सेक लीजियेगा …ठंड का समय है गर्मी का मज़ा लीजिये…! देखते हैं कल का सूरज क्या नया हंगामा ले कर अता है…!!!!
‘गुड नाईट’
jlsingh के द्वारा
November 12, 2013
जागरण जंक्सन परिवार, सबसे पहले follyfawiseman , फिर sandeep kumar और अब Sufi, Dhyan Muhammad के नाम से संदीप नामक यह ‘सिरफिरा आदमी’ पहले जागरण जंक्सन पर सुनामी फैलाकर बहुत सारे सम्मानित ब्लोग्गर्स को मंच छोड़ने पर मजबूर कर चुका है. पुन: यह सद्गुरु जैसे सम्मानित व्यक्ति को अपमानित कर उन्हें भी मंच छोड़ने पर मजबूर कर रहा है. इसका उद्देश्य सिर्फ डिस्टर्ब करना होता है. आपलोग लगता है वह हादसा भूल चुके हैं जब आदरणीय राजकमल जिन्हें हम सब गुरुदेव के रूप में मानते थे, और आदरणीय शशिभूषण जी को भी काफी अपमानित कर चुका है. मेरा भी जागरण जंक्सन से अनुरोध है कि उचित कारर्वाई की जाय! अगर मंच को सुचारु ढंग से चलाया जाना चाहिए! विचारों का विरोध या मतान्तर होना लाजिमी है पर अभद्रता उचित नहीं है. ऐसा मेरा मानना है. पहले भी महिला अपमान पर विरोध हुआ है और अनुशासनहीनता पर भी कारर्वाई हुई है …. उम्मीद है जे जे के एडमिन ध्यान देंगे! आपका ही मंच एक ऐसा है जहाँ अनुचित पोस्ट और प्रतिक्रियाएं हटाई गयी है … आपको भी स्मरण होगा! आप सब विचार करेंगे! इसी आशा के साथ! आप इनके पहले के भी सारे पोस्ट्स और प्रतिक्रियाएं देख सकते हैं. जवाहर
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