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‘हम विकृत मानसिकता वाले पाखंडी लोग, बेटी की जन्म पर उत्सव
तो नहीं मनाते है…पर आज उसके मरने पर शोक ज़रूर मनाएंगे !!!’
ऐसा लगता है जैसे, शोक मनाना हमारा जन्मसिद्ध अधिकार हो…जब भी शोक मनाना होता है…उपद्रव करना होता है…तोड़-फोड़ करना होता है हम एक जुट हो जाते हैं….!!! कमाल है !!!किस मुंह से हम शोक मानाने की बात कर रहें है….जिसके लिए हमने कभी उत्सव नहीं मनाया उस के लिए शोक मानाने का अधिकार किसने दे दिया हमें…..?????? अरे, जिस देश में लड़ाई पुरषों के बीच में होती हो और गाली स्त्री को दी जाती हो ….उस देश के पाखंडी लोगो को शोक मानाने का कैसा अधिकार..किसने दिया ये अधिकार ?????हमारी जितनी भी गालियाँ है सब के सब स्त्री से सम्बंधित है….कोई माँ से सम्बंधित है तो कोई बहन से तो कोई पत्नी से पर सब के सब स्त्री से सम्बंधित है………????
और, दूसरों से इज्ज़त की भीख मांगने वाली स्त्रियाँ पहले खुद की इज्ज़त करना सीखे…..???? दूसरों से इज्ज़त की मांग वही करते है जो खुद में प्रति हीनता की भावना से ग्रस्त होते हैं….!!!! एक तरफ तो स्त्रियाँ पुरुष को अपना पति(मालिक) बना लेती है और दूसरी तरफ उससे सम्मान और अधिकार की बात करती हैं….
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