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तुम चाहते क्या हो ?????
कोई पूछे तुम से
कि
तुम आखिर चाहते क्या हो…???
समाधान चाहते हो या सांत्वना…????
तुम बलात्कार या
अन्य अपराध को
बंद करना चाहते हो
या फिर
ये चाहते हो कि,
बलात्कार होते रहें
और
तुम बलात्कारियों को
फंसी देने का मज़ा लेते रहो…????
अगर तुम्हारी
सोचने और समझने की
क्षमता समाप्त हो गई है
तो तुम्हे ये बता दिया जाए
कि किसी को फंसी दे देने
से अपराध के
कम या बंद हो जाने
का कोई सम्बन्ध नहीं है….
फंसी या सजा
दे देने
से इतना भर होगा
कि तुम्हे मज़ा आ जाएगा,
तुम्हारे कलेजे को
ठंडक मिल जाएगी …….
अगर तुम मज़ा भर ही
लेना चाहते हो,
तो फिर कोई बात नहीं…
फिर जम के प्रदर्शन करो,
धरना करो,
हो-हल्ला करो…
चीखो-चिल्लाओ, तो
ड़-फोड़ करो….
निःसंदेह
फिल्म देखने और शराब
पीने से
जियादा मज़ा आएगा
तुम्हे इन सब को अंजाम देने में. …..
तुमने सिगरेट के डब्बे पे लिखा
कि इसको से पीने से कर्क रोग होता है…
जान जा सकती है…
ज़रा बताओ
कितनी कमी आ गई धुम्रपान में….?????
अरे मरने से डरता कौन है यहाँ……??????
और ये फंसी देना और सजा देना
कोई नई बात नहीं है….
सदियों से ये नाटक करते आये हो तुम….
जरा अपने अतीत में
झांक कर देखो…..
ये हुल्लड़बजी
सब दिन से करते आये हो…????
और
ये जिन नमूनों के पास
तुम अपनी फ़रियाद
ले कर जाते हो… .
हा हा हा हा हा हा हा ….
तुम क्या समझते हो
वो तुम से जियादा होशियार लोग हैं……???
हा हा हा हा हा…..
हद पागलपन है….
अरे तुम ही ने उनको चुना है….
जैसे तुम हो वैसे वो है….
जितने कुकर्मी तुम हो उतने वो है….
जितना लोभ तुम में उतना उन में है…
जितने अंधे तुम हो उतने वो भी हैं….
हा हा हा हा हा हा हा …..
क्या क्या खूब समझदारी है..
भई मान गए…..!!!! (संदीप)
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