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‘कऊन कहता है कि बूढ़ा इश्क़ नहीं करता’

Wise Man's Folly!
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(ये लेख उन पर्वर्ट बुजुर्गों को ध्यान मे रख कर लिखा गया जो आप को रेलवे स्टेशन, पब्लिक शौचालय, सिनेमा घरों मे मिल जाते हैं, ये कम उम के लड़कों को उकसा कर उनके साथ अपने वासना की पूर्ति करने की कोशिश में लगे रहते है…)
लखना- अऊर बेटा सितीया केसन है रे, सब निमन है के नइ…..
सीतीया- निमन काहे नहीं होगा….कौनों किसी के बाप के जीरात में बसे हुएँ है……किसी भी बेटी…..(बीप) से मेरा हाल बेहतर ही है……..
लखना- अरे ससुरा…..एतना तमतमाया हुआ क्यों है बे…..जेतना पूछ रहें है उसका जवाब दो….इ तुम हमको दुनिया क्यों दिखा रहे हो…..अयं….!
सितीया- देखो काका आज हमसे तुम बात न ही करो तो अच्छा है, कह देते हैं…..आज हमरा दिमाग सटका हुआ है……कुछ उल्टा-सीधा कह देंगे तो बेकार मे खबखबा जाओगे…..
लखना- आहिरे बा, तू तो बगेर बात के भोरे-भोरे बखेरा खड़ा कर रहे हो बे….आँख देख लिए हो का रे कुछों का तुम……..! ससुरा अजबे लीला है तुमराह……
सितीया- देखो काका…तुम हमसे मुँह मत लगाओ…..अऊर हमरे लीला की तो तुम बात न ही करो तो अच्छा है……अपनी रास लीला के बारे मे सोचो तुम……हम अब सब कुछ बूझ गएँ है तुम लोगो के बारे में,……तुम बुढ़ऊ लोग दिन को हरे-हरे करते हो अऊर रात को घरे-घरे ढुकते हो……..तुम लोगो की छिछोरी हरकत के वजह से हम जुआन लोग आज कल सलेमा देखने नहीं जाते है…..ससुरे तुम हम कम उमर के लडिकन को अपने हवस के जाल मे फसाते हो……
लखन- क्या बक…(बीप) कर रहे हो बे…..तूम हमपे कीचड़ उछाल रहे हो जी…..किसके घरे हम जाते है रात को….बताओ तो ज़रा……जब से टिल्ला की माय मरी है…..कह दे कोनो मौगी की हम कबहु आँख उठा के भी देखें हो किसी को…इ कइसन कलंक लगा रहे तुम हम पर रे……हमने कबहु तुमहरे साथ कोनो गलत हरकत किए हैं क्या….जो तुम हमको इ बात सब सुना रहे हो….
सितीया- हम खाली तुम्ही को नइ कह रहे हैं तुम सब के सब बुढ़ऊ एक जईसन ही होते हो…..और अगर तुम इतने दूध के धुले हो तो ये सींग तोड़ कर परू क्यों बने रहते हो….काहे ला अपने बाल को पौतना से पौते हुए हो…..इ सठियापा मे तुमको जुआन बनने का सौक काहे ला चढ़ा हैं……बताओ जरा…
Pakiya- ये फटीचरों…ये धूम किस बात पर मचा रखे हो तुम लोग……माज़रा क्या है बे…सितीया……….तुम लोग सुबह-सुबह भौं-भा क्यों कर रहे हो……?????
सितीया- भाई हमको बूढ़ों से नफ़रत हो गई है…इसको अपने गैंग से बाहर कर दो…..हमको घिन हो रही है…इससे…..!
Pakiya- ये अंकल तूने क्या किया है बे इसके साथ……
लखना- हम कहाँ कुछों किए है…..इ बगैर बात के बखेड़ा खड़ा कर रहा है…..बे बात के पिनक रहा है…..हम पर कलंक लगा रहा है……
Pakiya- ये सेटिया, तेरे को दूँ क्या एक…..क्यों बुढ़ऊ को लपेट रहा है बे……
सितीया- भाई आप इन बुढ़न लोग को नहीं जानते है…इ लोग बहुत बड़े इश्क़बाज होते है……कल रेलवे स्टेसन पर एक ठो बुढ़बा हमरे साथ अइसन-वईसन हरकत करने लगा था….तब से इ लोग हमको फुटली आँख नहीं सुहा रहा है……भाई आप, इनके उम्र पर मत जाओ इ लोग बहुत ख़तरनाक होते है…. आज कल इन लोगों का छीछा-बिछा ठीक नहीं है….इ सब ससुरें सक के दायरे में है…….!
लखना- इ का कह रहा है बे तू…..हम को भी क्या तू वइसन समझता है…..अपने बाप-पित्ती की इज्ज़त करना तुम भूल गए का रे….
सितीया- इज्ज़त की तो तुम बात मत करो…..तुम लोग लतखोरी के लायक हो…..तुम लोगो की हरकत पर केतना गुसा आ रहा है हमको मत पुछो…..मन तो कर रहा है की मुंडी ममोर दे तुमहरा
लखना-देख लो सितीया तुम अब हमरे बर्दाश्त से फाजिल बात कर रहे हो……हम कोनो तुमहरे पट्टी मे नहीं बसे है जो तुम कुछ भी कहोगे अऊर हम बर्दाश्त कर लेंगे…….
सितीया- का कर लोगे बे तुम…..तू का कऊनो पीर-मियाँ हो…..इ बनर भभकी हमको मत दो…….हम कोनो कुमहर के बतिया नहीं हैं जो तुमहरे उंगली दिखाने से गल जाएँगे……….
तुम सब के सब बुढ़न लोग एके जइसन होते हो…….सी नम्बर के खच्चर….
Pakiya- ये नमूनो ये क्या चूँ-चाँ लगा रखे हो….ये मच-मच बंद करो, बहुत हुआ ड्रामा तुम लोगों का………अपन समझ गया की तू लोग का लोचा क्या है…….
अभी अपन फैसला करता है………
लखखा बेटा तू यहाँ से कल्टी मार ले ….निकल लो यहाँ से……इधर दिखना मत कभी….समझ ले….अगर कभी इधर-उधर दिख गए न तो वहीं ठोक डालेंगे के तुमको…….
सितीया- भाई आप ग्रेट हो…..!
Pakiya- चल अब मस्का मत लगा तू……अपन को पहले से शक था इस बूढ़े पर….
सितीया- तब तो भाई अब हम यही कहेंगे…… ‘कऊन कहता है की बूढ़ा इश्क़ नहीं करता आयं, अरे करता तो है…परंतु इ अऊर बात है कोई उन पर सक नहीं करता’…..लेकिन अब बखत आ गया है कि हम इन बुढ़ऊरों पर शक करें, और इन से बच कर रहें……….ही…ही….ही….ही…..
सितीया- हाँ….हाँ…..हाँ…..ही…..ही…..हे…….हा…..हा…….हे…..
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Pakiya- अबे ऐसे क्यों हँस रहा है तू बे……
सितीया- सारी भाई…..ऊ हमको को पता नहीं है न की पाब्लिक मे कइसन हँसते है इसिलिए….सब तरह से ट्राइ मार रहे थे……
Pakiya- तू धाँसू है बे……ही…..हे…..हा…हो….हाँ……
Sitiyaa-Heeeeeeeeeeeeeeeeeeeee। heeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeee

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