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इधर से गुज़रा था, सोचा सलाम करता चलूँ……….

Wise Man's Folly!
Wise Man's Folly!
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‘हाथी के कान पे मच्छर की तान…..!’
पीछे मैंने लिखा था कि यहाँ बुज़दिलों का अड्डा है, लेकिन आज मैं अपनी बात बदल रहा हूँ….’यहाँ बुज़दिलों का नहीं मूर्खों का जमघट है’……इनकी मूर्खता की क्या कहने !!!…सब के सब antique piece हैं ..’मशाल से समंदर को डरा रहें है…..’……कमाल की बुद्धि है इनकी…..!
मुझे तो यही पता नहीं चल रहा है कि ये लोग लेखक हैं या ‘पोपट’…..एक तरफ रट लगा रहें हैं “आप ध्यान न दें उनपर वो दो चार के बाद अपने आप शांत हो जाएगा” और दूरी तरफ सारा ध्यान मुझी पर डाले हुएँ है….कोई 3000 visit हो चुका है मेरे ‘नालायक माँ का नालायक बेटा का’, 10 लेख लिखे जा चुके है मेरे विरोध मे………ये तो वही बात हो गई….’शिकारी आएगा दाना डाले गा, लोभ से उसमे फसना नहीं…..’ महात्मा जी के तोतों…..जरा तो होश रखो की क्या बक रहे हो……नींद मे कुछ से कुछ बक रहे हो क्या….?…!
न तो इनमे से किसी के पास मुझ से तर्क करने की क्षमता है और न ही मेरी बातों को समझने की……ये मंदबुद्धियों की जमात देश को बदलने की बात करता है….खुद को बदल ने की समर्थ है नहीं, और ये समाज को बदलने की ऊँची-ऊँची बातें फेक रहें है…..हाय रे अनोखे लोग….!
मुझे तो लगता है ये सब के सब नमूने किसी संग्राहलय से भाग कर आएँ है…..! अच्छा हो ये लोग लेखनी छोड़ कर कसी शर्कस मे काम पकड़ ले अच्छी कमाई हो जाएगी…….!
“यहाँ पर प्यार के बदले में असीम प्यार और इज्जत के बदले में मे बेहिसाब इज्जत मिलती है”……ये तो वही बात हो गई……’मेरी तुम खुजला दो, मैं तेरी खुजला देता हूँ’….भाई साहब, ऐसा कीजिए आप अपनी खुजला लीजिए हम अपनी खुजला लेते है…..ये लेन देन मे वर्थ समय खराब करने की क्या जरूरत है……..
“बिना उसकी उम्र या रुतबे का ख्याल किये “………कब तक अपने उम्र का हवाल देकर सम्मान की भीख माँगते रहोगे…कभी तो सम्मान के लायक बनो……!
“सभी कुछ जानने वाली पब्लिक उसके होश ठिकाने लगाना भी जानती है” …………इस तरह की बकवास फिल्मों मे अच्छी लगती है……(कल तक तो ये लोग लेखक थे आज अचानक पब्लिक कैसे हो गए…)
“सरेआम इनको “आई लव यू” बोलते हुए जरा भी शर्माती नहीं है झिझकती नहीं है” ….तुम्हें सरेआम माँ बहन को गाली बकते शर्म नहीं आती है….कोई ‘आइ लव यू बोले तो तुम आश्चर्यचकित हो’….हाय रे पाखंडी लोग….!

(नोट- ‘जो बुद्धिमान है उनको मेरी बातों से कोई फर्क नहीं पड़ेगा….और जिनको फर्क पड़ेगा…उनसे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है…’)

Hariom dikshit के द्वारा May 4, 2012(ये कमेंट तमन्ना जी की लेख “जागरण मंच पर एक अजीबोगरीब नमूने folly wise man”(ये लेख मुझ से संबंधित है) के नीचे पोस्ट है….देख लीजिए कि किस तरह की सभ्य भाषा का प्रयोग होता है हमरे इस तथाकथित मर्यादित जागरण मंच पर……..)
“लेकिन ये ‘हरामी’ यहाँ पहुंचा कैसे बिटिया ? उसकी हिम्मत कैसे हुई तुमसे जबान लड़ाने की ? भला हो चातक जी का, जिन्होंने मुझे यहाँ तक पहुंचाया और यह सब जानकारी हुई. अब देखता हूँ इस ‘मादरजात’ को. तुम फ़िक़र मत करो बेटी, अब चाचा आ गया है. कहाँ है बे हेमा के गाल … ?”

अंत मे यही कहूँगा……
“मुसाफिर हैं हम भी मुसाफिर हो तुम भी किसी मोड पर फिर मुलाक़ात होगी………………… जेजे को मेरा आख़री सलाम…….!!!!!

“इतने बदनाम हुए हम इस जमाने मे, तुम्हें लग जाएगी सदियाँ हमे भूलने मे ……”

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