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मैं और मेरी समस्या !

Wise Man's Folly!
Wise Man's Folly!
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ZEN_SameRiver_Wइससे पहले की मैं आपको अपने समस्याओं के बारे में बताऊँ, मैं आप को अपने बारे में बता दूं। मैं मनुष्य हूँ, और अनंत काल से इस अलंघ्य सीमाओं वाले रहस्यमयी अस्तित्व में विचरण कर रहा हूँ। मेरे अन्दर मनन करने, सोचने और समझने की अपूर्व क्षमता है और शायद इसी मनन व् विचार करने की क्षमता की वजह से मैं मनुष्य कहलाता हूँ। अभी तक जितने भी ज्ञात प्राणी हैं मैं उनमे सबसे अगल, अनोखा और एक मात्र विचारवान प्राणी हूँ।
मेरी जितनी भी समस्याएँ है वो सब की सब समयातीत हैं, उनका देश, समय, समाज व समाज की भौतिक-व्-राजनितिक स्थिति और पद-व्-धनलोलुप राजनेताओं द्वारा नक़्शे पर खिंची गई सीमाओं से कोई सरोकार नहीं है। मेरी स्थिति पूरी दुनिया में एक सी है। चाहे अमेरिका हो या अमीरात, काबा हो या काशी, मैं झोपडी में रहूँ या महल में, मेरी स्थिति सब जगह एक समान है, मेरी खोज एक है मेरी प्यास एक है, मेरा उदेश्य एक है! मैं कार में बैठूं या काठ-गाड़ी में मेरे अन्दर कोई भेद उत्पन्न नहीं होता है ऐसे ही जैसे तुम गधा पर गीता लाद दो या गोबर गधा, गधा ही रहेगा।
ऐसा नहीं है कि कभी किसी ने मेरी सुध नहीं ली है, बहुत ही थोड़े से एसे लोग हुए है, जिन्होंने ने मेरी और ध्यान दिया और मुझे तमाम बन्धनों और दुखों से मुक्त कर मनुष्य होने की उच्यतम गरिमा को उपलब्ध कराया, पर वो अपनी संख्या में इतने कम है की ऊँगली पर गिने जा सकते हैं, उन्हें तुम अपवाद मानो। जब भी कोई मुझ में उत्सुक होता है और मुझे जानने की कोशिश में लगता है तुम उसे पागल या स्वार्थी का दर्जा देते हो। हमेशा से ये मेरा दुर्भग्य रहा है।
पूरी दुनिया में आज किसी को भी मेरी कोई फिकिर नहीं है, सब उलूल-जुलूल के कामों में उलझे पड़े हैं I, किसी को भ्रष्टाचार हटानी है तो किसी को दुराचार… मैं पूछता हूँ क्या तुमने कभी ये जानने की कोशिश की उन देशो में जहाँ भ्रष्टाचार नहीं है या फिर कम है वहाँ मेरी क्या स्थिति है ? तुम सबको फालतू की चीजों की चिंता है किसी को देश की पड़ी है तो किसी को राज्य की, तो कोई समाज को लेकर व्यथित है। तुम उन सब को लेकर परेशान हो जो नहीं है या फिर जिनका होना सिर्फ एक व्यावहारिक सच है, और मैं जो हूँ, और अपने परमार्थिक अर्थो में हूँ, और एक दिन नहीं रहूँगा, उसकी तुम्हे कोई फिकिर नहीं है।
देश की समस्या को समाप्त करनी है तुमको , मैं पूछता हूँ तुमसे, जरा मुझे बताना की तुम्हारा ये देश कहाँ है ? कहीं देखा है इसको तुमने ? कभी मिले हो तुम अपनी भारत माता और अमेरिका बाप से ? किस पागलपन में लगे हो तुम ? मैं वहां भी हूँ जहाँ कोई देश और राज्य सीमाएं नहीं है, मेरे होने के लिए किसी देश वगैरह की कोई दरकार नहीं है। और अगर है भी तो देश मेरे लिए हो तो ठीक है पर मैं किसी देश के लिए नहीं हूँ। सच तो ये है की तुम्हारी ये देश, धर्म, जाति, और क्षेत्र कि धारणा मेरी स्वतंत्रता में बाधक ही है, अभी तक कि तुम्हारी कोई भी मान्यता मेरी विकास-यात्रा में सहायक नहीं हैं। तुम उसको ले कर परेशान हो, जो कही नहीं है और मैं जो की हूँ और सब जगह हूँ तुम जहाँ भी जाओगे मुझे ही पाओगे, तुम्हारी ये अमेरिका , भारत, बिहार, पाकिस्तान, नेपाल सिवाय तुम्हारे बनाये गए नक्शों के और कहीं नहीं मिलेंगे तुमको, और तुम इसी झूठ की बकवास को लेकर पूरी दुनियां में चिल्ल-पों मचाये हुए हो।
तुम ये भली-भांति जानते हो की जिन समस्याओं को लेकर तुम परेशान हो और निदान ढूंढ रहे हो वो असली समस्याएँ नहीं है, ये तुम्हारे रोज़ का अनुभव है हर बार मुंह की खाते हो पर फिर भी बाज़ नहीं आते हो। अब श्रीमान लख्खा प्रसाद को देख लो बेचारा कार खरीदने के लिए कितने परेशान है, रात ठीक से सो नहीं पाते हैं , दिन रात मेहनत कर पाई-पाई ईकठ्ठा कर रहे हैं लग रहा है जैसे कार ही सबकुछ हो, अगर ये मिल जाये तो समझो सब मिल गया, समझ लो की मोक्ष ही पा लिया…….. पर कोई श्रीमान रोगु-मल दास जी से जाके ये क्यों नहीं पूछता की उन पे क्या बीत रही है, सात कारें है उनके पास, फिर क्यों व्यथित हैं बेचारे…….. ? कब तक तुम झूठे खिलौने देकर मुझे बहलाते रहोगे…… ? मैं जो की तुम्हारे सबसे नजदीक हूँ उसको छोड़ कर तुम चाँद, तारे, और न जाने कितने प्रकार के बकवास को जानने के लिए आतुर हो। कब तक तुम्हारी आत्म-वंचना का शिकार होता रहूँगा मैं…….. ?
मैं न तो भारतीय हूँ, और न ही पाकिस्तानी या अमेरिकन……. मेरा किसी देश, धर्म, जाति, संस्था, पंथ, या इस प्रकार की किसी अन्य क्षुद्र सीमाओं से कोई सरोकार नहीं है……मुझे तुम खंडो में नहीं बाँट सकते हो……. ये पूरी दुनिया मेरी है और मैं इस दुनिया का हूँ…… तुम मुझे मेरे जन्मसिद्ध अधिकारों से बंचित मत करो, तुम मझे किसी भी प्रकार की सीमाओं में महदूद करने की कोशिश मत करो, मत बनाओ मुझे अपनी गन्दी राजनीति का शिकार……!
मैं यहाँ जीने आया हूँ न की तुम्हारे बनाये गए झूठ की सीमाओं पर अपनी जान न्योछावर करने। मेरी जान की कीमत तुम्हारी दो-कौरी की देश, राज्य और क्षेत्र की सीमाओं से कहीं जियादा है…… मैं अनमोल हूँ, अपने हर रूप में अनोखा और सब से अलग हूँ ! नहीं बनना है मुझे तुम्हारे राम, रहीम, ईसा, मुहम्मद, महावीर, गांधी, नानक, और कृष्ण जैसा, मैं जैसा भी हूँ ठीक हूँ ! अगर अस्तित्व को मुझे किसी और के जैसा बनाना होता तो फिर मुझे सबसे ज़ुदा, अनुपम और अनोखा क्यों बनाता ? हे देश और समाज के ठेकेदारों ! तुम मुझ पर अपनी अपेक्षाओं और कुंठाओं को थोपना बंद करो,,,,, हे माता-पिताओं तुम औरों के साथ मेरी तुलना करना बंद करो, मुझे हीन या महान सावित करने की कोशिश मत करो, मत करो कलुषित मेरी आत्मा को ……! अगर तुम मुझसे प्रेम करते हो तो मुझे सहयोग दो, पर अपनी क्षुद्र वासना पूर्ति के लिए मेरा शोषण मत करो, मेरा इस्तेमाल मत करो…… ! मुझे नहीं दोहरानी है तुम्हारी मुर्दा शास्त्रों में लिखी बातों को….! मुझे जीवन को स्वयं जानना है, मुझे किसी और की लिखी कही बात को दोहराने या मानने को मजबूर मत करो…….. !
मैं सम्मान करता हूँ तुम्हारे महापुरुषों की, पर नहीं करनी है मुझे उनका अनुकरण, नहीं चलना है मझे किसी और के नक्शों-कदम पर ये मेरी जिन्दगी है मुझे अपने तरीके से जीने दो, मुझे खुद गिर के समहलने दो………. ! तुम मेरे निर्णायक मत बनो…….. ! ये जो तुम अपनी विद्यालयों और महाविद्यालयों में मुझे दुनिया की बकवास सिखाते हो उसे बंद करो, नहीं बनना है मुझे जानकार, मत भरो मेरी खोपड़ी को थोथी जानकारी की कूड़ा-करकट से तुम…..! अगर मुझे कुछ बनाना ही है तो बुद्धिमान बनाओ जानकार नहीं ! मत पहनाओ मुझे किसी और के जूते, अपनी मौलिकता में जीने दो मुझे……! मुझे एक परिवेश दो जिसमे मैं विकास कर सकूं, सीख सकूं, अनुभव कर सकूँ और अपने अन्दर छिपे अस्तित्व के गहनतम रहस्यों को जान सकूं…….. !

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